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कौन बनेगा प्रधानमंत्री: Areen Kumar Basuroychoudhury


 कौन बनेगा प्रधानमंत्री: Areen Kumar Basuroychoudhury

 राज्य राजनीति में और केंद्रीय राजनीति में आज दो दल आमना सामना बार-बार हो रहे हैं केंद्र में मोदी और राज्य में दीदी। अगर देखा जाए कोई भी दल छोटा नहीं होता है। जहाज से कुछ बरस पहले 2010 तक कोई नहीं सोचा था सीपीएम को हराकर तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल की राज्य राजनीति में एक अलग से ही इतिहास स्थापित करेंगे। मगर वह करके दिखाएं। ठीक वैसे ही अटल बिहारी वाजपेई के बात एनडीए सरकार में लालकृष्ण आडवाणी के नाम के जगह में अचानक से आई एम मोदी की नाम आज इंडिया सरकार की सबसे सफल प्रधानमंत्री के रूप में भारतवर्ष देख चुका है। किसी को छोटा या बड़ा कहना नहीं चाहिए। क्योंकि चिकन तांत्रिक देश होने के नाते हैं भारत के हर एक नागरिक के लिए क्या हुआ भुगतान हर वक्त मायने रखता है की उनकी बनाया हुआ सरकार उनकी संयोगिता करेंगे, नगर संयोजक ना हो के अगर कोई अपना स्वार्थ के कारण बा काम नहीं कर पाते हैं तो उनको सरकार की में रहने का कोई हक नहीं है। आप सरकार में हो इसका मतलब यह नहीं है कि आप दूसरे विरोधियों को जगह नहीं देंगे या उनको भूत की प्रचार करने नहीं देंगे। आज वोट की प्रचार बंद होने के लिए सिख विरोधी दल को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के द्वारा सुनना पड़ता है इससे शर्मनाक चीज भारत की जनरल कभी नहीं देखा है। बार-बार आसाम में हुए हमला त्रिपुरा में हुआ हमला गोवा में हुए हमला को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञ आलोचना में बैठे हुए हैं। मगर इसका फायदा कुछ नहीं हुआ जब तक सुप्रीम कोर्ट ने अपना राय नहीं दिया सारे दल की राइट है अपना वोट का प्रचार खुद करें। इसके बाद से खुशी हुए हैं कोलकाता से आए हुए टीएमसी के सारे समर्थक जो त्रिपुरा में पहुंचे थे। माननीय अभिषेक बंदोपाध्याय और ममता बनर्जी की बीएमसी सरकार अचलपुरा में अपना कैंडिडेट दे रहे हैं। आगे जाकर वह गोवा उत्तर प्रदेश और डबल इंजन शासित जितना भी राज्य है उनके आने वाले चुनाव में अपना प्रार्थी घोषित करेंगे टीएमसी के साथ। इसमें बार-बार एक चीज सामने आ रहा है सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रियंका गांधी इनके चुनाव को लेकर जो मनो भावना है वह मनु भावना को ममता बनर्जी कभी मान नहीं रहा है। इसी के कारण गठबंधन की जो सरकार की बार बार बात हुई है वह गठबंधन की सरकार आगे जाकर होगी कि नहीं इसको लेकर भी सम्मिलित सुना हो रहा है। जहां गठबंधन होता है वहां कंप्रोमाइज का शब्द रहता है। मगर यहां पर अगर माना जाए तो सोनिया गांधी के साथ ममता बनर्जी का मत विरोध रह जाएगा जैसे पहले भी हम लोग देखे हैं। इसी को लेकर एक सबसे बड़ा चीज सामने आ रहा है कि आगे जाकर यह ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ और यूपीए के साथ अपना गठबंधन आदत में करेंगे कि नहीं यह सबसे बड़ा प्रश्न आ रहा है आज। जहां पर राज्यों में 15 रन के साथ कांग्रेस की जो टच टूट चुका है जो सामने आ रहा है बस बहुत सारे बात की सीपीएम और कांग्रेस की जो ऑलरेडी टूट चुका है आगे में जाकर पूर्व बोर्ड अगर आता है तो उसमें जाकर सीपीएम और कांग्रेस की कोई जोक नहीं रहेगी सीपीएम और कांग्रेस अलग-अलग दल के हिसाब से लड़ेंगे आने वाले चुनाव में। 


वही 2024 को बार-बार देखते हुए यह मध्य नजर रखते हुए हम भारत वासियों के सामने एक सबसे बड़ा पक्ष में आ रहे हैं कौन सा गठबंधन की सरकार हम देखने वाले हैं। क्योंकि अगर देखा जाए अरविंद केजरीवाल दिल्ली में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की सरकार तो बीजेपी की सरकार है वहां पर गठबंधन की कोई गुंजाइश है नहीं आगे जाकर टीएमसी कॉन्ग्रेस सीपीएम अपना गठबंधन करते हैं या अलग-अलग 2024 के चुनाव में लड़ेंगे यह सबसे बड़ा प्रश्न आ रहा है आज। यहां पश्चिम बंगाल में सीपीएम की कोई गुंजाइश ही नहीं महा केंद्र में व्याकरण व्याकरण की क्या राय रहेगा यूपीए सरकार के साथ या तो वह सोचेंगे कि ममता बनर्जी के साथ ममता बनर्जी को पावरफुल करने के लिए मोदी विरोधी एक दल गठित हो। यह शायद भारत के इतिहास में सबसे बड़ा हास्य कर चीज होगा कि जो दल जो दो दल पश्चिम बंगाल में अपना आप आप उसे झमेला और कीचड़ उछालने के लिए मीडिया माध्यम को यूज करते हैं वह केंद्र में जाकर एक संघ बीजेपी विरोधी आंदोलन क्या करेंगे या इनमें से कुछ नहीं होगा यह देखने लायक चीज होगा 2024 तक।


 महत्वपूर्ण में बार-बार एक चीज सामने आ रहा है कि सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी मानिक सरकार की जो टीम है सीपीएम से वह बीजेपी के खिलाफ एक विरोधी दल के हिसाब से सबसे बड़ा रोल स्थापित कर चुके हैं और उन्हीं को हराकर त्रिपुरा में मानिक सरकार की गद्दी पलट गई थी कुछ ही साल पहले। त्रिपुरा की जनता अभी क्या सोच रहे हैं और त्रिपुरा की जनता को आगे जाकर उनको क्या मिलेगा और कितना वह डेवलपमेंट में है और कितना डेवलपमेंट के लिए वह पार्टी चेंज करेंगे या नहीं करेंगे इसके ऊपर बातचीत बार-बार हो रहा है मगर एक की सबसे बड़ा प्रश्न है यहां पर हैं कि वहां पर टीएमसी जो दल गठन करने के लिए सोच रहे हैं और टीएमसी आगे जाकर जोरदार गठन करेंगे अगर तो यह दल की जो काम रहेगा वह माणिक सरकार को कितना दिन तक और नहीं आने देगा यह सिर्फ माणिक सरकार की बात नहीं है यह बात अभी हो चुका है कि पश्चिम बंगाल से जैसे सीपीएम का नामोनिशान दूर कर दिए थे टीएमसी सरकार और ममता बनर्जी खुद ने ठीक वैसे ही मानिक सरकार की नाम त्रिपुरा की इतिहास से गायब ना हो जाए। बार-बार बहुमूल्य प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा है यह बोलना सबसे बड़ा प्रश्न आज के डेट में यह है आगे जहां की भारतवर्ष की इतिहास में एक नया केंद्रीय दल गोश्त घटित होता है या नहीं अगर होता है तो वह दल कौन सी गठबंधन की दल होगा? कांग्रेस और टीएमसी के मत एक नहीं है तो आगे जाकर इनकी गठबंधन की जो गुंजाइश है उसका परसेंटेज थोड़ा सा कम होते जा रहा है बार-बार टीएमसी के विधायक सांसद प्रश्न उठा रहे हैं कांग्रेस के ऊपर। कुछ दिन पहले यह बात भी सामने आया था कि कांग्रेस अपना खुद का आसन नहीं छोड़ेगा तो अगर कांग्रेस कुछ खास नहीं छोड़ता है तो जाकर बंगाल की ममता बनर्जी की जो सोच है प्रधानमंत्री होने का यह सोच कहां तक उनको आगे लेकर जाएगा और आदत में बंगाल से पहला प्रधानमंत्री क्या देख सकता है भारत के जनता? 


बार-बार यही प्रश्न सामने आता है और इन्हीं प्रश्नों के उत्तर के लिए जब मीडिया के बातचीत में नेता आते हैं तो वह बोलते हैं कि ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री होना चाहिए मगर ममता बनर्जी के प्रधानमंत्री होने के पहले बंगाल की राज्य राजनीति और केंद्रीय राज्य राजनीति में जो दल गठन और संगठन के विरोध चल रहा है वह विरोध क्या खत्म होगी या विरोध जैसे चल रहा है वैसा ही चलता रहेगा यह सबसे बड़ा प्रश्न आज के डेट में बंगाल और भारत बरसे जनता के सामने खड़ा है। अगर देखा जाए तो पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की कोई गुंजाइश है ही नहीं जहां पर दीदी अपना जगह खुद बना चुके हैं वहीं पर बीजेपी के सांसद और बीजेपी के विधायक जिस तरह से चेंज हो रहा है जिस तरह से लड़ रहे हैं उस तरफ से बीजेपी पश्चिम बंगाल में कितना आगे रहेगा या पश्चिम बंगाल से बीजेपी हट जाएगा आगामी लोकसभा 2024 में बीजेपी कितना सीट पश्चिम बंगाल से मिलेगा यह सबसे बड़ा प्रश्न पश्चिम बंगाल के सामने आ रहा है। भारत में 2024 में पश्चिम बंगाल में बीजेपी का कोई अस्तित्व रहेगा कि नहीं इसमें सवाल उठ रहा है आज बार-बार क्योंकि पिछले वोट में अगर हम देखते हैं 2016 की लोकसभा बोर्ड में 18 आसन से जीते हुए बीजेपी सरकार जब गठन हुआ था तब पश्चिम बंगाल में बीजेपी का सीट उतना नहीं था मगर आज 77 वोट विधानसभा में जीतने के बाद भी वह 70 में आ चुका है आगे भी जाकर कम होते जाएगा मगर बीजेपी अगर अपना सोच को लेकर थोड़ा सा भी बदलाव लाते हैं तो यह यह 70 आगे जाकर बीजेपी को और स्ट्रांग बना सकता है 2024 के बाद अगर उन्होंने कुछ नहीं होता है तो। भूतचक्र की यह जो गतिविधि है यह बार-बार चलता जा रहा है 2011 के बाद हम लोग भारत वार्षिक होने के नाते हम लोग देखे हैं कि बार-बार चेंजेज 2011 में दल परिवर्तन होकर से टीएमसी टीएमसी बना मगर बीजेपी की हार के बाद से जो बार-बार चलता हुआ परिवर्तन दलीय परिवर्तन इंसान देख रहा है भारत की जनता देख रहा है यह कब तक चलेगा और यह कब बंद होगा इसका कोई अता पता ठिकाना है नहीं इसके आगे जाकर बीजेपी कितना आगे जाएगा इसके ऊपर सबसे बड़ा प्रश्न बार-बार उठ रहा है।

2024 के आगे उत्तर प्रदेश और गोवा में वोट है उन वोटों में ममता बनर्जी की एक्टिविटी और जनता की एक्टिविटी के ऊपर आगे का परिवर्तन का हवा समझ में आ सकता है उससे पहले कुछ कहना अंधेरे में तीर मारने जैसा हो जाएगा मगर बीजेपी को कुछ कुछ परिवर्तन अपने लिए करना होगा अगर यह परिवर्तन वह तो 100% 2024 में बीजेपी का रहने का आशा बनाया जाएगा।

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